सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
लिङ्गाष्टकम्
अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
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अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप shiv chalisa in hindi अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा shiv chalisa lyricsl सकता है, आप अकथ हैं। shiv chalisa in hindi आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
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